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क्या मासुम बच्चों की लाशों पर सत्ता का सुख भोगना ही है रामराज्य?

भगवान बुद्ध की धरती बिहार में चमकी बुखार विगत कुछ सालों से एक अभिशाप बन कर सामने आया है। जिसने हजारों मासुम बच्चों को अपना शिकार बना लिया है इस साल भी चमकी बुखार ने अब तक 150 से ज़्यादा बच्चों की ज़िन्दगी छिन ली है। 150 से ज़्यादा माँ की गोद सुनी हो चुकी है लेकिन सरकार को गहरी नींद में सोने से फुर्सत नही है। बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने अब तक इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
गौरतलब है कि मासुम बच्चों की मौत का ये सिलसिला सिर्फ बिहार और चमकी बुखार तक ही सिमित नही है, इससे पहले महाराष्ट्र में कुपोषन के कारण कई बच्चों को जान गवानी पड़ी है तो वहीं उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण 70 से ज़्यादा बच्चे मौत की नींद सो चुके हैं।

ध्यान देने वाली बात ये है कि इन तीनों जगहों पर या तो भाजपा की सरकार है या भाजपा नीत NDA की सरकार है, ये वही भाजपा है जो देश में कथित रुप से रामराज्य लाने की बात करती है। क्या रामराज्य मासुम बच्चों की लाशों पर सत्ता का सुख भोगने से आएगा? ऐसा इस लिए कह रहा हुँ क्योंकि महाराष्ट्र, UP से लेकर बिहार तक हजारों मासुम बच्चों की जान चली गई लेकिन सरकार की तरफ से ना तो किसी मंत्री ने ना ही किसी नेता ने इन मौतों की ज़िम्मेदारी ली ना ही किसी नेता या मंत्री का इस्तिफा आया।

चमकी बुखार के मामले में तो यह मामला और भी गंभीर लगता है क्योंकि यह कोई अचानक से आई बिमारी नही है बल्कि साल 2014 से ही यह बिमारी हर साल आती है लेकिन फिर भी सरकार ने इससे बचाव की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नही किया। अब जबकि बिमारी ने रौद्र रुप ले लिया है तब दौरों और प्रेस कॉन्फ्रेंस का दौर शुरु हुआ है उस में भी केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश़्वनी चौबे और बिहार में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को सोते हुए पाया गया है। साहब पहले मासुम बच्चों की जान बचा लो फिर रामराज्य की बात करना।

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