सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

Bharat Band लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बिहार के हाजीपुर में किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बन्द का दिखा असर! महागठबंधन ने भी दिखाई एकजुटता।

बिहार के हाजीपुर में किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बन्द का दिखा असर! महागठबंधन ने भी दिखाई एकजुटता। बिहार: केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृृषि कानुनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बन्द का बिहार के हाजीपुर में दिखा असर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के साथ साथ महागठबंधन ने भी भारत बन्द में अपनी एकजुटता दिखाई, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के एक नेता ने देश रक्षक न्युज़ को दिए इंटरव्यु में कहा कि जब तक केन्द्र सरकार कृृषि कानुनों को वापस नही लेती तब तक ये आन्दोलन बन्द नही होगा और चरणबद्ध तरीके से किसान आन्दोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। वहीं महागठबंधन की ओर से राजद नेता वाएजुल हक ने केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृृषि कानुनों को काला कानुन बताते हुए केन्द्र सरकार से इसे तुरन्त वापस लेने की माँग की, एक अन्य राजद नेता ने इन कानुनों को अम्बानी और अडानी का कानुन बताते हुए कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने अम्बानी और अडानी को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से कृृषि कानुनों को पारित करवाया है। वहीं भारत बन्द का असर बिहार के हाजीपुर में देखने को मिला, कुछ एक दुकानों को छोड़ कर...

भारत बंद के समर्थन में ट्रैक्टर पर बैठ सड़क पर उतड़े पप्पू यादव

*बिहार बंद के समर्थन में ट्रैक्टर पर बैठ सड़क पर उतड़े पप्पू यादव *शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे जाप कार्यकर्ताओं पर भाजपा कार्यकर्ताओं का हमला। * कृषि कानून भारत की आत्मा पर चोट: पप्पू यादव। पटना 25 सितम्बर: जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव  बिहार बंद को सफल बनाने के लिए सड़क पर उतड़े. पप्पू यादव ने संसद से पास हुए कृषि से जुड़े तीनों कानूनों को किसान विरोधी बताया. ट्रैक्टर पर बैठ वे इनकम टैक्स गोलम्बर से डांकबंगला चौराहा तक गए और अपना विरोध जताया. बंद के समर्थन में हजारों समर्थक और आम जनता सड़क पर आई और इस कानूनों को वापस लेने की मांग की। बंद को संबोधित करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि इस कानून ने देश की आत्मा पर चोट की है. ये अन्नदाता को कमजोर करने वाला कानून है. देश की आधी आबादी कृषि और कृषि आधारित रोजगारों पर आश्रित है और इस कानून से ये पूरी आधी आबादी प्रभावित होगी. किसानों की जमीन को छीन पूंजीपतियों को देने की तैयारी यह सरकार कर रही है। कृषि कानूनों को काला कानून बताते हुए जाप अध्यक्ष ने कहा कि, सरकार को यह किसान विरोधी कानून वापस लेना होगा. जब तक ऐसा नहीं होता है...

Agriculture Bill 2020: Not for the benefit of farmers - SDPI Bihar

Darbhanga - Social Democratic Party of India (SDPI) Bihar provincial president Naseem Akhtar in a press release said that the three bills passed by Parliament, Agricultural Produce Trade (Promotion and Facilitation) Bill 2020, Agricultural (Empowerment and Protection) Price and Expressing his reaction to the Agricultural Services and Essential Commodities (Amendment) Bill, he said that all the three bills were not for the benefit of the farmers but would benefit the corporates. He said protesting against the passage of the bill, a minister has resigned and farmers are on the streets against the bill, who also claim that the bill is totally against them. SDPI provincial president Naseem Akhtar added that farmers have not accepted the government's assurance that it will not affect the Minimum Support Price (MSP). He fears that the central government will end the current system of purchasing open-ended FCIs. Farmers believe that the Food Corporation of India (FCI) and other central ag...

कृषि विधेयक 2020 किसानों के लाभ के लिए नही - SDPI बिहार

दरभंगा - सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (SDPI)  बिहार के प्रांतीय अध्यक्ष नसीम अख्तर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि संसद द्वारा पारित तीन बिल, कृषि उत्पाद व्यापार (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य और अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना कृषि सेवा और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि तीनों विधेयक किसानों के लाभ के लिए नहीं थे, बल्कि इससे कॉरपोरेटों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि बिल के पारित होने का विरोध करते हुए, एक मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है और किसान बिल के खिलाफ सड़कों पर हैं, जो यह भी दावा करते हैं कि बिल पूरी तरह से उनके खिलाफ है। एसडीपीआई के प्रांतीय अध्यक्ष नसीम अख्तर ने कहा कि किसानों ने सरकार के इस आश्वासन को स्वीकार नहीं किया है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को प्रभावित नहीं करेगा। उन्हें डर है कि केंद्र सरकार ओपन-एंडेड एफसीआई की खरीद की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त कर देगी। किसानों का मानना ​​है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और अन्य केंद्रीय एजेंसियां ​​राज्यों से सालाना गेहूं और चावल खरीदना बंद कर देंगी। जो उन्...