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बिहार के हाजीपुर में किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बन्द का दिखा असर! महागठबंधन ने भी दिखाई एकजुटता।

बिहार के हाजीपुर में किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बन्द का दिखा असर! महागठबंधन ने भी दिखाई एकजुटता। बिहार: केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृृषि कानुनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बन्द का बिहार के हाजीपुर में दिखा असर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के साथ साथ महागठबंधन ने भी भारत बन्द में अपनी एकजुटता दिखाई, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के एक नेता ने देश रक्षक न्युज़ को दिए इंटरव्यु में कहा कि जब तक केन्द्र सरकार कृृषि कानुनों को वापस नही लेती तब तक ये आन्दोलन बन्द नही होगा और चरणबद्ध तरीके से किसान आन्दोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। वहीं महागठबंधन की ओर से राजद नेता वाएजुल हक ने केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृृषि कानुनों को काला कानुन बताते हुए केन्द्र सरकार से इसे तुरन्त वापस लेने की माँग की, एक अन्य राजद नेता ने इन कानुनों को अम्बानी और अडानी का कानुन बताते हुए कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने अम्बानी और अडानी को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से कृृषि कानुनों को पारित करवाया है। वहीं भारत बन्द का असर बिहार के हाजीपुर में देखने को मिला, कुछ एक दुकानों को छोड़ कर...

बिना माँग पुरी हुए पीछे हटने को तैयार नही किसान, केन्द्र सरकार के साथ तीसरे चरण की बातचीत भी फेल।

बिना माँग पुरी हुए पीछे हटने को तैयार नही किसान, केन्द्र सरकार के साथ तीसरे चरण की बातचीत भी फेल। फाईल फोटो किसान आंदोलन अब पहले की अपेक्षा बढ़ती जा रही है और इससे केन्द्र सरकार के रातों की नीन्द हराम हो गई है, पंजाब और हरियाणा के किसानों के अलावा अब इस आन्दोलन को देश के कोने कोने से समर्थन मिलने लगा है, किसानों के अलावा छात्रों ने भी इस आंदोलन में किसानों का साथ दिया है और देश के अलग अलग हिस्सों से छात्र किसानों के समर्थन में दिल्ली पहुँच रहे हैं। केन्द्र सरकार द्वारा पारित तीन कृृषि कानुनों के खिलाफ देश भर के किसानों में गुस्सा व्याप्त है और पंजाब और हरियाणा के किसानों के अलावा अब उतर प्रदेश के किसान संगठनों और हरियाणा की खाप पंचायतों ने भी किसान आंदोलन को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी है। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया था लेकिन किसानों ने अपनी माँग पुरी होने तक पीछे हटने से मना कर दिया और इस तरह तीसरे चरण की बातचीत फेल हो गई। इससे पहले केन्द्र सरकार ने किसानों के सामने सशर्त बातचीत का प्रस्ताव रखा था जिसे किसानों ने साफ तौर पर ठुकरा दिया और बिना शर्त ...