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काश् मॉबलिंचिंग जैसे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाया होता कंगना तो आज अन्याय पर रोना अच्छा लगता।

आज मुम्बई BMC ने कंगना रनौत का ऑफिस तोड़ डाला तो कंगना रनौत को "आज मेरी तो कल तुम्हारी बारी" मुहावरा याद आ गया, अपने दर्द का एहसास सब को होता है फिर दुसरों का दर्द क्यों नही दिखता? पहलु खान, हाफिज़ जुनैद, मोहम्मद अख़लाक़ जैसे दर्जनों बेगुनाह लोगों को मॉबलिंचिंग कर के मार डाला गया, मार्च- अप्रैल 2018 सिर्फ इन दो महीनों में ही भारत में 16 मॉबलिंचिंग हुए जिसमें 22 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी, तब कंगना रनौत और तथाकथित देशभक़्त लोगों को उनके दर्द का एहसास क्यों नही हुआ?

Kangna Ranaut

आज मुम्बई BMC द्वारा कंगना रनौत का ऑफिस तोड़ दिए जाने के बाद कंगना रनौत ने लोगों से उनका घर तोड़े जाने के खिलाफ उनका समर्थन करने का आह्वान करते हुए कहा कि आज मेरा घर ध्वस्त कर दिया गया कल तुम्हारा होगा, सरकारें आती जाती रहती है, अगर तुम हिंसा को सामान्य समझोगे तो यह आदर्श बन जाता है, आज एक व्यक़्ति जलाया जा रहा है कल हजारों को जलाया जाएगा। उन्होने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और बॉलीवुड डायरेक्टर और प्रोड्युसर करण जौहर पर तिखा प्रहार करते हुए चैलेंज किया और कहा कि उद्धव ठाकरे और करण जौहर गैंग तुमने मेरा कार्यस्थल तोड़ दिया, आओ अब मेरा घर तोड़ दो, मेरा मुँह और मेरा शरीर तोड़ दो, मैं चाहती हुँ कि दुनिया स्पष्ट रूप से देखे कि तुम क्या करते हो? उन्होने आगे कहा कि मैं रहुँ या मर जाऊँ मैं तुम्हे बेनकाब कर के रहुँगी।

अब देश रक्षक न्युज़ कंगना रनौत और उन सब लोगों से पुछना चाहती है कि कंगना रनौत का ऑफिस टुटना अगर गलत है और देश के लोगों को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए तो क्या पहलु खान, हाफिज़ जुनैद, मोहम्मद अख़लाक़ जैसी दर्जनों लोगों की मॉबलिंचिंग कर देना सही था? उस समय कंगना रनौत और तथाकथित देशभक़्त लोगों ने एकजुट होकर क्यों नही उस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाया था? जब पहली मॉबलिंचिंग हुई थी अगर तब ही आप लोग एक जुट होकर उस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाते तो शायद दर्जनों बेगुनाह लोगों की ज़िन्दगी बच गई होती। उस समय कंगना रनौत को आज मेरी हत्या तो कल तुम्हारी हत्या वाली कहावत क्यों याद नही आई थी? क्यों कंगना रनौत ने मॉबलिंचिंग के खिलाफ आवाज़ नही उठाया था? क्यों उस समय एक जौहर के बाद हजारों जौहर का डर उन्हे नही सता रहा था? क्या सिर्फ अपना दर्द दर्द होता है और दुसरों का दर्द एक तमाशा?

शायद कंगना रनौत से इन सब सवालों के जवाब की उम्मीद ना की जाए लेकिन देश रक्षक न्युज़ देश में संविधान और कानुन का राज फिर से स्थापित होने की कामना करता है, देश रक्षक न्युज़ चाहता है कि देश में किसी भी व्यक़्ति के साथ किसी भी स्तर पर कोई भेदभाव या अन्याय न हो।

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