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शर्मनाक - केन्द्र सरकार ने कहा मरने वाले प्रवासी मजदुरों का आँकड़ा नही तो मुआवज़ा का सवाल ही पैदा नही होता।

केन्द्रीय श्रम एंव रोजगार मंत्रालय ने कल संसद में एक अतारांकित प्रश़्न के जवाब में संसद में बताया कि केन्द्र सरकार के पास कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान मरने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आँकड़ा मौजुद नही है तो उन्हे मुआवज़ा देने का कोई सवाल पैदा ही नही होता है।

Narendra Modi


आपको बता दें कि संसद में आज़ादी के बाद से ही प्रश़्नकाल का समय दिया जाता रहा है जिसमें सांसद जनता के मुद्दों से जुड़े सवाल सरकार से करती है और उसके पर बहस होती है लेकिन मोदी सरकार ने गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ते कोरोना संक्रमण, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर फजीहत से बचने के लिए प्रश़्नकाल को मौजुदा मानसून सत्र से हटा दिया है, इसकी जगह अतारांकित प्रश़्न किया जा सकता है। मालुम हो कि अतारांकित प्रश़्न वह प्रश़्न है जिसके पुछे जाने पर सरकार जवाब तो देगी लेकिन उस पर ना तो क्रॉस कोस्चनिंग किया जा सकता है और ना ही उस पर बहस किया जा सकता है। विपक्ष सरकार पर संसद के सत्र से प्रश़्नकाल हटाने का जम कर विरोध कर रही है लेकिन मोदी सरकार प्रश़्नकाल बहाल करने के लिए तैयार नही है।

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इसी अतारांकित प्रश़्न में एक प्रश़्न लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की मौत और मुआवज़ा से जुड़ा था, उस पर केन्द्र सरकार ने जानकारी दी कि सरकार के पास लॉकडाउन में मरने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आँकड़ा मौजुद नही है और ना ही सरकार के पास लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए मजदूरों का आँकड़ा है इस लिए उन्हे मुआवज़ा देने का सवाल ही पैदा नही होता है। संसद में कल कुल 230 अतरांकित प्रश़्न पुछे गए जिनमें से 15 सवाल कोरोना काल में रोजगार छिनने, प्रवासी मजदूरों की मौत और बेरोजगारी दर से जुड़ा था। एक सवाल में कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की मौत का राज्यवार आँकड़ा माँगा गया जिसके जवाब में केन्द्र सरकार ने कहा कि सरकार ऐसे किसी आँकड़े का रख रखाव नही करती है।

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