सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

9 पूर्व IPS ऑफिसर्स ने दिल्ली हिंसा की जाँच पर उठाया सवाल, दिल्ली पुलिस कमिश़्नर को लिखा ओपेन लेटर।

दिल्ली हिंसा में दिल्ली पुलिस के रवैये और जाँच पर सवाल उठाते हुए 9 पुर्व IPS ऑफिसर्स ने दिल्ली पुलिस कमिश़्नर को लिखा ओपेन लेटर।

IPS Cap


दिल्ली पुलिस कमिश़्नर को ओपेन लेटर लिखने वालों में (1)रिटायर्ड IPS शफी आलम ( Shafi Alam ), पुर्व डायरेक्टर जनरल नेशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्युरो, भारत सरकार,(2)रिटायर्ड IPS अमिताभ माथुर, पुर्व डायरेक्टर एविएशन रिसर्च सेन्टर एवं पुर्व स्पेशल सेक्रेट्री, कैबिनेट सेक्रेट्रीयेट, भारत सरकार, (3)रिटायर्ड IPS के० सलीम अली ( K. Saleem Ali ), पूर्व स्पेशल डायरेक्टर CBI (4) मोहिन्दरपाल औलाख ( Mohinderpal Aulakh ), पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस 'जेल', पंजाब सरकार (5) ए० एस० दौलत ( A. S. Daulat ), पूर्व OSD ऑन काश्मीर, प्रधानमंत्री कार्यालय (6) आलोक बी० लाल ( Aloke B. Lal ), पुर्व डायरेक्टर जनरल 'प्रौसिक्युशन' उतराखण्ड, (7) रिटायर्ड IPS अविनाश ने बनाने ( Avinash Mohananey ), पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, सिक्कीम (8) रिटायर्ड IPS पी० जी० जे० नामपुथिरी ( P. G. J. Nampoothiri ), पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, गुजरात और (9) पूर्व IPS  ए० के० समांता ( A. K. Samanta ), पूर्व डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस 'इंटेलिजेंस' पश़्चिम बंगाल  शामिल हैं।

पुर्व IPS ऑफिसर्स ने अपने लेटर में लिखा कि 

दिल्ली के दंगों की त्रुटिपूर्ण जाँच के बारे में पुलिस आयुक्त, दिल्ली को एक खुला पत्र, फरवरी 2020


श्री एस.एन. श्रीवास्तव, IPS, पुलिस आयुक्त दिल्ली

प्रिय श्री श्रीवास्तव जी

हम, अधोहस्ताक्षरी, भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और विभिन्न सेवाओं से संबंधित सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक समूह से संबंधित हैं और जिसे संवैधानिक आचरण समूह (CCG) के रूप में जाना जाता है। श्री जूलियो रिबेरो एक आईएएस अधिकारी (एक प्रकाशन के रूप में इसे डालें) और CCG के सबसे मूल्यवान सदस्यों में से एक है। हम आपके द्वारा लिखे गए पत्र के बारे में आपको लिखे गए पत्र का समर्थन करना चाहेंगे।

दिल्ली दंगा के अलावा, हम यह कहना चाहेंगे कि यह वास्तव में भारतीय पुलिस के इतिहास में एक दुखद दिन है कि इस वर्ष के दंगों के संबंध में दिल्ली पुलिस द्वारा अदालत में प्रस्तुत किए गए जांच और चालान व्यापक रूप से पक्षपातपूर्ण माने जाते हैं और राजनीति से प्रेरित है। यह उन सभी पुलिस अधिकारियों को पीड़ा देता है, जो सेवा करने के साथ-साथ सेवानिवृत्त भी होते हैं, जो कानून और हमारे संविधान के शासन को बनाए रखने में विश्वास करते हैं।

हमें यह जानकर दुख हुआ कि आपके विशेष आयुक्तों ने अपने समुदाय से जुड़े कुछ दंगाईयों की गिरफ्तारी को लेकर हिंदुओं में आक्रोश फैलाने वाली जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी, पुलिस नेतृत्व में इस तरह के प्रमुख रवैये से हिंसा और पीड़ितों के लिए न्याय का संकट पैदा होता है। अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित उनके परिवार के सदस्यों का यह मतलब होगा कि बहुसंख्यक समुदाय से संबंधित हिंसा के वास्तविक अपराधी मुक्त रूप से घुमते रहें।

जो हमें अधिक पीड़ा देता है, वह यह है कि दिल्ली पुलिस उन सभी लोगों को आरोपित कर रही है जो नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और भाषण में शामिल हुए थें, वे केवल संविधान द्वारा गारंटीकृत के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण विरोध के अपने मौलिक अधिकारों का उपयोग कर रहे थें। ठोस सबूतों के बिना खुलासे पर जांच पड़ताल निष्पक्ष जांच के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। नेताओं और कार्यकर्ताओं को आरोपित करते हुए, जिन्होंने हिंसा भड़काने वाले और सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोगों के सीएए के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए हैं, उन्हें बंद कर दिया गया है।

इस तरह की जांच से ही लोगों का लोकतंत्र, न्याय, निष्पक्षता और संविधान पर विश़्वास में कमी आएगी। यह एक खतरनाक सोच जो अंततः एक व्यवस्थित समाज के स्तंभों को हिला सकती है और कानून और व्यवस्था के टूटने का कारण बन सकती है।


इसलिए, हम आपसे सभी दंगों की पुरी निष्पक्षता के साथ पुन: जाँच करने का अनुरोध करते हैं क्योंकि जाँच का पहला आधार यही है कि पिड़ित व्यक़्ति और उसके परिवार को कानुनन इंसाफ मिले।




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जानिए कर्बला के उन 72 शहीदों के नाम जिन्होने ईस्लाम के लिए अपनी कुर्बानी दी!

कर्बला का युद्ध 10 मुहर्रम 61 हिजरी ( ईस्लामिक कैलेन्डर ) बमुताबिक 10 अक्टुबर सन् 680 ई० को हज़रत इमाम हुसैन और यजीद की लाखों की फौज के बीच हुई थी। इस युद्ध में आम राय के अनुसार हज़रत इमाम हुसैन की तरफ से लड़ते हुए 72 लोग शहीद हुए थें, कहीं कहीं यह आँकड़ा 72-136 बताया जाता है। वो 72 नाम सबको जानना चाहिये। तमाम शोहदा ए कर्बला के नाम ए मुबारक .... तस्वीर सांकेतिक है कर्बला के 72 शहीद ( शोहदा ए कर्बला ) के नाम---- 1. हज़रत इमाम हुसैन रज़ि अल्लाहु अनहु 2. हज़रत अब्बास बिन अली 3. हज़रत अली अकर बिन हुसैन 4. हज़रत अली असगर बिन हुसैन 5. हज़रत अब्दुल्ला बिन अली 6. हज़रत जफर बिन अली 7. हज़रत उस्मान बिन अली 8. हज़रत अबू बकर बिन अली 9. हज़रत अबू बकर बिन हसन बिन अली 10. हज़रत कसीम बिन हसन बिन अली 11. हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन 12. हज़रत ऐन बिन अब्दुल्ला बिन जाफर 13. हज़रत मोहम्मद बिन अब्दुल्ला बिन जाफर 14. हज़रत अब्दुल्ला बिन मुस्लिम बिन अकील 15. हज़रत मोहम्मद बिन मुस्लिम 16. हज़रत मोहम्मद बिन सईद बिन अकील 17. हज़रत अब्दुल रहमान बिन अकील 18. हज़रत जफर बिन अकील 19. हज़रत यूएन बिन हर्स असदी 20. हज़रत ह...

तुर्की के राष्ट्रपति की पत्नि से मुलाकात करने पर क्यों ट्रोल किए जा रहे हैं आमिर खान? क्या है पुरा मामला जानिए यहाँ!

बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं, वजह है उनकी अपकमिंग फिल्म "लाल सिंह चड्डा" जिसकी सुटिंग इन दिनों तुर्की में हो रही है। गौरतलब हो कि आमिर खान की अपकमिंग फिल्म लाल सिंह चड्डा की कुछ सुटिंग भारत में पुरी हो चुकी है लेकिन कोरोना संकट के बढ़ते प्रभाव के कारण फिल्म की सुटिंग बीच में ही बन्द कर दी गई थी और लगभग 5 महीने के बाद इसकी सुटिंग दुबारा से तुर्की में शुरु की है। लेकिन आमिर खान को ट्रोल किए जाने की वजह से फिल्म या इस फिल्म का तुर्की में सुट किया जाना नही है, बल्कि विवाद इस बात पर है कि आमिर खान तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एर्दोगान की पत्नि से क्यों मिलें? गौरतलब है कि तुर्की की प्रथम महिला तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एर्दोगान की पत्नि एमिन एर्दोगान ने ट्विटर पर ट्विट करते हुए आमिर खान से मुलाकात की बात कही थी। https://twitter.com/EmineErdogan/status/1294684499075366913?s=20 जब ये ट्विट भारत के लोगों तक पहुँचा तो भाजपा और संघ से जुड़े लोगों को इस बात से आपत्ती होने लगी की आमिर खान ने एमिन एर्दोगान से मुलाकात क्यों की? और सोशल मिडिया पर उन्ह...

डॉ० कफील खान की रिहाई पर ईलाहाबाद उच्य न्यायालय में अंतरिम सुनवाई कल, परिवार वालों ने दुआ की अपील की।

 गोरखपुर के बी० आर० डी० अस्पताल के पुर्व डॉक्टर कफील खान इन दोनो रासुका यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानुन के तहत जेल में बंद हैं, उन पर CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उन के दिए भाषण के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने रासुका लगा रखा है और बीते दिनों डॉ० कफील पर लगाए गए रासुका की अवधी 3 महीनों के लिए और बढ़ा दी गई थी। डॉ० कफील खान के परिवार या दोस्तों ने उनके फेसबुक अकाउण्ट से पोस्ट करते हुए अंतरिम सुनवाई की जानकारी दी और साथ ही डॉ० कफील के चाहने वालों से साथ देने के अलावा दुआ/प्रार्थना करने की भी अपील की है। राजनितिक दुर्भावना से लगाए गए NSA की पीड़ा को मैं बखुबी समझता हुँ- भीम आर्मी चीफ गौरतलब है कि डॉ० कफील खान की रिहाई के लिए सोशल मिडिया से लेकर सड़क तक लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है, भारतीय इंसान पार्टी, समाजवादी पार्टी, काँग्रेस सहित कई छोटी बड़ी पार्टी ने डॉ० कफील की रिहाई की माँग की है, वहीं सोशल मिडिया पर डॉ० खान की रिहाई के लिए कई हैशटैग के साथ लगातार विरोध किया जा रहा है और उनकी रिहाई की माँग की जा रही है। आपको बताता चलुँ कि काँग्रेस की तरफ से प्रियंका...