संगी जामा मस्जिद भारत में बिहार राज्य के वैशाली जिला के हाजीपुर शहर में गंडक नदी के तट पर स्थित एक ऐतिहासिक मस्जिद है, चुँकी यह मस्जिद पुरी तरह से पत्थर से बना हुआ है इस लिए इसे पत्थर मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है।
मुुग़ल काल में तो यह मस्जिद पुरी तरह से आबाद रहा लेकिन अँग्रेज़ों के शाषण काल में 1857 ई० के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अँग्रेज़ों की क्रुरता के कारण इस मस्जिद में धीरे धीरे नमाज़ियों की संख्या कम होती गई फिर 1896 ई० के बाद यहाँ के मुसलमानों ने एक मौलवी ( जो बख्तियारपुर जिला पटना के रहने वाले थें ) को रख कर मस्जिद को दुबारा आबाद करने की कोशिस की और धीरे धीरे नमाज़ियों की संख्या फिर से बढ़ने लगी। दुर्भाग्यवश् 1934 ई० के भूकंप में मस्जिद का अगला हिस्सा कुछ क्षतिग्रस्त हो गया कई सालों बाद इसके मरम्मत का कार्य शुरु हुआ जो 1950-51 में पुरा हुआ, उसके बाद इसमें शहर के लोगों ने ईद, बकरीद और जुमा की नमाज़ पढ़ना शुरु किया जिसे बाहर से आए मौलाना नमाज़ पढ़ाते थें, न तो उस समय इस मस्जिद में कोई एमाम नियुक्त थें ना ही इस मस्जिद में कोई कमिटी थी।
तब 90 के दशक में हाजीपुर के एक मर्दे मुजाहिद ( नाम लिखने की आज्ञा नही है ) ने इस मस्जिद में 1984 ई० में नमाज़ ए तरावीह शुरु करवाई जो उस समय शहर में चर्चा का विषय बन गया, फिर मौलाना शमीमुर रहमान को जनवरी 1988 में एमाम नियुक़्त कर इस मस्जिद को फिर से आबाद किया और कमिटी का गठन किया, तब से लेकर आज तक इस मस्जिद में हर दिन 5 वक़्त की नमाज़ के अलावा जुमा की नमाज़, तरावीह की नमाज़ और ईद व बकरीद की नमाज़ अदा की जाती रही है। इस मस्जिद में मौलाना शमीमुर रहमान, मौलाना ताहीर हुसैन, मौलाना ज़फ़र हुसैन आदि प्रमुख मौलाना रहें और आज मौजुदा मौलाना शौक़त अली क़ाश्मी अपनी ज़िम्मेदारी को बखुबी निभा रहे हैं।
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