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फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार इस लिए है कि पुरी दुनिया को संदेश मिले की ईस्लाम के खिलाफ टिप्पणी स्विकार्य नही- शाहलाल हसन

फ्रांस में पैगम्बर मुहम्मद स०अ०व० के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी और कार्टुन प्रकरण के बाद से ही पुरी दुनिया में फ्राँस के खिलाफ गुस्सा फुट पड़ा है और लोगों ने खास कर ईस्लामी दुनिया ने फ्राँस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसमें एक प्रकार का विरोध है फ्राँस के उत्पादों का बहिष्कार करना। फ्राँस के उत्पादों का बहिष्कार और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर एक छात्र शाहलाल हसन ने देश रक्षक न्युज़ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा......

अस-सलाम-ओ-अलैकुम,

मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं, "क्या अभिव्यक्ति की आजा़दी किसी के विश्वास या धर्म का अपमान करने की अनुमति देती है ???"

शाहलाल हसन @ देश रक्षक न्युज़


मान लीजिए, एक X नाम का व्यक्ति जो नास्तिक है, उसने आपके GOD या आपके धर्म के किसी भी मैसेंजर का अपमानजनक पोस्टर बनाया है और आपके देश की सरकार इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सरकारी भवनों पर प्रकाशित करती है। क्या यह नैतिक है ??? क्या आप उन्हें ऐसा करने की अनुमति देंगे ???

नहीं, यह न तो नैतिक है और न ही स्वीकार्य है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सही और आवश्यक है जब तक यह सम्मान और नैतिकता की सीमा के अंतर्गत है।

लेकिन यह स्वीकार्य नहीं है कि कोई व्यक्ति फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर दूसरों के विश्वास / धर्म का अपमान करे।


फ्रांस में 16 अक्टूबर 2020 को एक शिक्षक ने अपनी कक्षा में पैगंबर मोहम्मद (उन पर अल्लाह की शान्ति और आशीर्वाद रहें) का एक विवादित पोस्टर दिखाया, जो फ्रांसीसी पत्रिका चार्ली हेब्दो में प्रकाशित हुआ था। उसके बाद एक मुस्लिम छात्र ने हिंसा का रास्ता अपनाया तब राष्ट्रपति मैक्रोन ने न केवल हेट स्पीच दी बल्कि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर फ्रांसीसी सरकारी इमारतों पर उस विवादित पोस्टर को भी प्रकाशित किया ...


मैं आपसे यह पूछता हूं कि अगर कोई आपको आपके माता-पिता / बहन का संपादित चित्र / पोस्टर दिखाता है; आप उसे / उसके लिए क्या करेंगे? अगर आप अपने माता-पिता / बहन से प्यार करते हैं तो निश्चित रूप से आप उसे माफ नहीं करेंगे।

या अगर कोई आपकी माँ पर पत्थर फेंके तो आप क्या करेंगे? कुछ भी नहीं, यह सोंचकर कि आप अहिंसा का पक्ष लेते हैं ??? नही, आपको कार्रवाई करनी पडे़गी। याद रखें, कई अवतार / संदेशवाहक जो अहिंसा के पक्षधर थे लेकिन जब आत्मरक्षा की बात आई तो उन्हें भी हिंसक प्रतिक्रिया देनी पड़ी।


फिर, हम मुसलमान उसे कैसे माफ कर सकते हैं जो हमारे प्यारे पैगंबर मोहम्मद(s.a.w.) का अनादर करते हैं; जिन्हे हम दुनिया में सब से ज्यादा प्यार करते हैं, जिन पर हम अपना जीवन और सब कुछ बलिदान करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं ...

शाहलाल हसन ने आगे कहा कि इसलिए, हम मुसलमान पूरी दुनिया को यह संदेश देने के लिए जुलूसों का आयोजन कर रहे हैं और फ्रांसीसी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं कि ISLAM के खिलाफ कोई भी गु़सताखी़ स्वीकार्य नहीं है।


देश रक्षक न्युज़ भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल करता है कि जिस देश के आप प्रधानमंत्री हैं उसकी देश की दुसरी सबसे बड़ी आबादी मुसलमानों की है, उस देश में ईस्लाम दुसरा सबसे बड़ा धर्म है और अपने देश के नागरिकों और उसके धर्म की रक्षा करना भी आपकी ज़िम्मेदारी है फिर आपने अपने देश के लोगों के खिलाफ जाकर फ्राँस के साथ खड़े रहने की बात किस आधार पर की? क्या भाजपा का राजनितिक एजेंडा किसी के धर्म का अपमान करने वालों का समर्थन करना है? देश की जनता आप से जानना चाहती है।

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