सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नीला अण्डा देने वाली मुर्गियाँ, कहाँ पाई जाती हैं ये मुर्गियां, इसका अण्डा क्यों होता है नीले रंग का चलिए जानते हैं इसके बारे में वैज्ञानिक तथ्यों के साथ

नीला अण्डा देने वाली मुर्गियाँ, कहाँ पाई जाती हैं ये मुर्गियां, इसका अण्डा क्यों होता है नीले रंग का चलिए जानते हैं इसके बारे में वैज्ञानिक तथ्यों के साथ।

अंडे की बात हो तो हमें एक कहावत तुरंत याद आती है संडे हो या मंडे रोज खाएं अण्डे और हमारे जेहन में सबसे पहले सफेद रंग का अंडा आता है। बचपन से हम सब अंडे को एक खास रंग, स्वाद और आकार में देखते आए हैं, जिन लोगों ने भारत में पाई जाने वाली देशी मुर्गियों का अण्डा देखा होगा तो वे ये जानते होंगे कि हमारी देशी मुर्गियों के अण्डे का रंग हल्का क्रीमी भूरा होता है, मगर आपसे कहा जाए कि अंडा नीले रंग का होता है तो, क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे, आप बेशक यकीन ना करें लेकिन यह पुरी तरह से सच है, जी हां चिली देश में पाई जाने वाली अरुकाना नस्ल की मुर्गियां नीले रंग का अंडा देती हैं जिसे अमेरिका और यूरोपियन देशों में खूब पसंद किया जाता है। कहते हैं कि पहली बार इन मुर्गियों को 1914 में स्पेन के पक्षी वैज्ञानिक सल्वाडोर कैसिलो ने अपनी चिली यात्रा के दौरान देखा था। अरुकानिया इलाके में दिखने के कारण इन मुर्गियों को अरूकाना कहा जाने लगा, आइए इन मुर्गियों और इनके नीले अंडों के पिछे छिपे राज और वैज्ञानिक तथ्यों को जानते हैं।



कैसे हुई नीले अंडे देने वाली मुर्गियों की खोज


माना जाता है कि सबसे पहले साल 1914 में स्पेन के एक पक्षी वैज्ञानिक सल्वाडोर कैसिलो ने अपने चिली यात्रा के दौरान इन मुर्गियों को देखा था, चिली के अरुकानिया इलाके में दिखने के कारण इसे अरुकाना कहा जाने लगा। वैज्ञानिक ने दुनिया की पहली पॉल्ट्री कॉन्ग्रेस में इस मुर्गी को मुर्गियों की नई प्रजाति मानते हुए इस बारे में बताया, तब इस मुर्गी को नया नाम देने पर विचार किया गया, हालांकि कुछ ही वक्त बाद वैज्ञानिकों को समझ आ गया कि ये मुर्गी घरेलू मुर्गियों की ही एक किस्म है।


अब जबकि वैज्ञानिकों को ये समझ आ गया कि अरुकाना तो घरेलू मुर्गियों की ही एक प्रजाति है तब आपके दिमाग में एक सवाल उठ रहा होगा कि नीला क्यों होता है इन मुर्गियों का अंडा, तो चलिए इस सवाल का जवाब भी जानने की कोशिश करते हैं।


अभी तक इसकी सही वजह तक पहुंचा नहीं जा सका है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि चिकन में रेट्रोवायरस के हमले की काफी ज्यादा आशंका रहती है, ये वे वायरस हैं जो सिंगल आरएनए स्ट्रक्चर वाले होते हैं और मुर्गियों में प्रवेश कर उनमें जीनोम की संरचना को बदल देते हैं। इन रेट्रोवायरस को इएवी एचपी कहते हैं, जीन की संरचना में बदलाव आने के कारण मुर्गी के अंडों का रंग बदल जाता है। हालांकि, वायरस के बावजूद भी ये अण्डे खाने के लिए सुरक्षित होते हैं क्योंकि वायरस सिर्फ अंडों की बाहरी संरचना को प्रभावित करते हैं, उनकी आंतरिक संरचना सुरक्षित होती है। यूरोपियन देशों और अमेरिका में ये चिकन और इसके अंडों को काफी चाव से खाया जाता है। इसके अलवा कई होटलों में ये अण्डे और मुर्गियां एग्जोटिक आयटम की लिस्ट में आते हैं और काफी महंगे दामों पर बिकते  हैं। वैसे अब नीले अंडे देने वाली अरुकाना मुर्गियों की प्रजनन क्षमता प्राकृतिक तौर पर कम हो रही है और इनकी संख्या बड़ी तेजी से घट रही हैं, यही कारण है कि अब चिली और अमेरिका जैसे देशों में इसकी ब्रीडिंग कराई जाने लगी है।

 पुरा विडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 




चलिए जब बात यहां तक पहुंच ही गई है तो मुर्गियों की इन प्रजातियों के बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं।

Ester egger chicken इस्टर गिर मुर्गियां भी नीले अंडे देती हैं, ये मिक्स्ड ब्रीड की होती हैं, जिसके अंडे नीले, हरे और कई बार गुलाबी भी होते हैं। ये भी खाने लायक होते हैं लेकिन American Poultry Association's (APA) के मुताबिक ये सेहत के लिए खास फायदेमंद नहीं होते है। एक और चिकन की दुर्लभ नस्ल है जिसे Ayam Cemani कहते हैं, ये इंडोनेशियाई मुर्गियों की नस्ल हैं, इसके  बाल से लेकर पूरा शरीर यहां तक कि हड्डियां भी काले रंग की होती हैं, इंडोनेशिया के लोग मानते हैं कि इस चिकन के पास जादुई शक्तियां होती हैं।

साल 1998 में डच मुर्गी पालक इसे नीदरलैंड लेकर आए, जिसके बाद से ये पूरे यूरोप में फैल गईं, Fibromelanosis नामक तत्व की अधिकता जो रंग निर्धारण करता है के कारण इन मुर्गियों का रंग काला होता है। वैसे ये मुर्गियां देखने में भले ही किसी चमत्कारी ताकत वाली लगें लेकिन इनके अंडे सफेद रंग के ही होते हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जानिए कर्बला के उन 72 शहीदों के नाम जिन्होने ईस्लाम के लिए अपनी कुर्बानी दी!

कर्बला का युद्ध 10 मुहर्रम 61 हिजरी ( ईस्लामिक कैलेन्डर ) बमुताबिक 10 अक्टुबर सन् 680 ई० को हज़रत इमाम हुसैन और यजीद की लाखों की फौज के बीच हुई थी। इस युद्ध में आम राय के अनुसार हज़रत इमाम हुसैन की तरफ से लड़ते हुए 72 लोग शहीद हुए थें, कहीं कहीं यह आँकड़ा 72-136 बताया जाता है। वो 72 नाम सबको जानना चाहिये। तमाम शोहदा ए कर्बला के नाम ए मुबारक .... तस्वीर सांकेतिक है कर्बला के 72 शहीद ( शोहदा ए कर्बला ) के नाम---- 1. हज़रत इमाम हुसैन रज़ि अल्लाहु अनहु 2. हज़रत अब्बास बिन अली 3. हज़रत अली अकर बिन हुसैन 4. हज़रत अली असगर बिन हुसैन 5. हज़रत अब्दुल्ला बिन अली 6. हज़रत जफर बिन अली 7. हज़रत उस्मान बिन अली 8. हज़रत अबू बकर बिन अली 9. हज़रत अबू बकर बिन हसन बिन अली 10. हज़रत कसीम बिन हसन बिन अली 11. हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन 12. हज़रत ऐन बिन अब्दुल्ला बिन जाफर 13. हज़रत मोहम्मद बिन अब्दुल्ला बिन जाफर 14. हज़रत अब्दुल्ला बिन मुस्लिम बिन अकील 15. हज़रत मोहम्मद बिन मुस्लिम 16. हज़रत मोहम्मद बिन सईद बिन अकील 17. हज़रत अब्दुल रहमान बिन अकील 18. हज़रत जफर बिन अकील 19. हज़रत यूएन बिन हर्स असदी 20. हज़रत ह...

तुर्की के राष्ट्रपति की पत्नि से मुलाकात करने पर क्यों ट्रोल किए जा रहे हैं आमिर खान? क्या है पुरा मामला जानिए यहाँ!

बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं, वजह है उनकी अपकमिंग फिल्म "लाल सिंह चड्डा" जिसकी सुटिंग इन दिनों तुर्की में हो रही है। गौरतलब हो कि आमिर खान की अपकमिंग फिल्म लाल सिंह चड्डा की कुछ सुटिंग भारत में पुरी हो चुकी है लेकिन कोरोना संकट के बढ़ते प्रभाव के कारण फिल्म की सुटिंग बीच में ही बन्द कर दी गई थी और लगभग 5 महीने के बाद इसकी सुटिंग दुबारा से तुर्की में शुरु की है। लेकिन आमिर खान को ट्रोल किए जाने की वजह से फिल्म या इस फिल्म का तुर्की में सुट किया जाना नही है, बल्कि विवाद इस बात पर है कि आमिर खान तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एर्दोगान की पत्नि से क्यों मिलें? गौरतलब है कि तुर्की की प्रथम महिला तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैयब एर्दोगान की पत्नि एमिन एर्दोगान ने ट्विटर पर ट्विट करते हुए आमिर खान से मुलाकात की बात कही थी। https://twitter.com/EmineErdogan/status/1294684499075366913?s=20 जब ये ट्विट भारत के लोगों तक पहुँचा तो भाजपा और संघ से जुड़े लोगों को इस बात से आपत्ती होने लगी की आमिर खान ने एमिन एर्दोगान से मुलाकात क्यों की? और सोशल मिडिया पर उन्ह...

डॉ० कफील खान की रिहाई पर ईलाहाबाद उच्य न्यायालय में अंतरिम सुनवाई कल, परिवार वालों ने दुआ की अपील की।

 गोरखपुर के बी० आर० डी० अस्पताल के पुर्व डॉक्टर कफील खान इन दोनो रासुका यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानुन के तहत जेल में बंद हैं, उन पर CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उन के दिए भाषण के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने रासुका लगा रखा है और बीते दिनों डॉ० कफील पर लगाए गए रासुका की अवधी 3 महीनों के लिए और बढ़ा दी गई थी। डॉ० कफील खान के परिवार या दोस्तों ने उनके फेसबुक अकाउण्ट से पोस्ट करते हुए अंतरिम सुनवाई की जानकारी दी और साथ ही डॉ० कफील के चाहने वालों से साथ देने के अलावा दुआ/प्रार्थना करने की भी अपील की है। राजनितिक दुर्भावना से लगाए गए NSA की पीड़ा को मैं बखुबी समझता हुँ- भीम आर्मी चीफ गौरतलब है कि डॉ० कफील खान की रिहाई के लिए सोशल मिडिया से लेकर सड़क तक लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है, भारतीय इंसान पार्टी, समाजवादी पार्टी, काँग्रेस सहित कई छोटी बड़ी पार्टी ने डॉ० कफील की रिहाई की माँग की है, वहीं सोशल मिडिया पर डॉ० खान की रिहाई के लिए कई हैशटैग के साथ लगातार विरोध किया जा रहा है और उनकी रिहाई की माँग की जा रही है। आपको बताता चलुँ कि काँग्रेस की तरफ से प्रियंका...